Golden Temple History In Hindi, Golden Temple Kahan Hai, गोल्डन टेंपल किसने बनवाया था, स्वर्ण मंदिर का निर्माण कब हुआ, स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा हैं?,
Amritsar Golden Temple Information In Hindi : आइये आपको हम अपने इस आर्टिकल के द्वारा Golden Temple के बारे में सभी जानकारी देते हैं.

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का मशहूर मंदिर है. ये सिख धर्म के मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है. इस मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है, इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गया. बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन इस मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है. कहने को तो ये सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन मंदिर शब्द का जुडऩा इसी बात का प्रतीक है कि भारत में हर धर्म को एकसमान माना गया है. यही वजह है कि यहां सिखों के अलावा हर साल विभिन्न धर्मों के श्रद्धालु भी आते हैं, जो स्वर्ण मंदिर और सिख धर्म के प्रति अटूट आस्था रखते हैं.
इस मंदिर के चारों ओर बने दरवाजे सभी धर्म के लोगों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते हैं. तो हम आपको आज स्वर्ण मंदिर से सम्बंधित कई दिलचस्प और रोचक बातें बताते हैं. खासतौर से अगर आप पहली बार स्वर्ण मंदिर जा रहे हैं, तो हमारा ये आर्टिकल आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा. यहां आपको स्वर्ण मंदिर का इतिहास, दर्शन करने का समय, यहां के मुख्य आकर्षण और मंदिर से जुड़ी कुछ मजेदार बातें भी जानने को मिलेंगी.
Golden Temple History In Hindi
आर्टिकल | Amritsar Golden Temple Information In Hindi |
कहाँ स्थित है | अमृतसर में |
किसके द्वारा बनाया गया | गुरु रामदास साहिब द्वारा |
कितने साल पुराना है | लगभग 400 साल |
गोल्डन टेंपल किसने बनवाया
अमृतसर का यह इतिहास लगभग 400 साल पुराना हैं. इस गुरद्वारे की नीव 1588 ई० में सिखों के चौथे गुरु रामदास साहिब ने 500 बीघा में रखी थी. अमृतसर को अमृत का टैंक कहा जाता हैं. पाचवे सिख गुरु अर्जुन देव जी ने इस पवित्र सरोवर/टैंक के बीच में हरमिंदर साहिब मतलब स्वर्ण मंदिर का निर्माण किया तथा इन्होने ही यहाँ सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ आदि ग्रंथ की स्थापना की. 1581 में गुरु अर्जुनदास ने इसका निर्माण शुरू कराया. उस दौरान सरोवर सुखा और खाली रखा गया था. हरमिंदर साहब के पहले संस्करण को पूरा करने में 8 साल का समय लगा था. यह मंदिर 1604 में पूरी तरह बन गया था. स्वर्ण मंदिर को कई बार नष्ट किया गया लेकिन 17 वीं शताब्दी में महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया ने इसे फिर से बनवाया था. मार्बल से बने इस मंदिर की दीवारों पर सोने की पत्तियों से नक्काशी की गई है, जो देखने में बहुत ही सुंदर लगती हैं.
स्वर्ण मंदिर का अकाल तख़्त
अकाल तख़्त का निर्माण 1606 में किया गया था. अकाल तख़्त का मतलब ‘कई काल से परमात्मा का सिंहासन’ होता हैं. यहाँ पर सिख कम्युनिटी से जुड़े कई फैसले लिए जाते हैं. सिखों के सभी तख्तों में से सबसे पहला तख्त अकाल तख़्त हैं. इस तख़्त को सिखों के छठे गुरु हरगोबिंद जी ने न्याय से सम्बंधित मामलों पर विचार करने के लिए बनाया था. इस तख़्त की नींव बाबा बुढा, भाई गुरदास और हरमिंदर जी ने राखी थी. अकाल तख्त पहले मिट्टी से बनाया गया था लेकिन एक हमले में नष्ट होने के बाद इसे संगमरमर से पुनः निर्माण किया गया.
स्वर्ण मंदिर में जाने के नियम
गोल्डन टेंपल में सभी धर्म और वर्ग के लोग जा सकते हैं. लेकिन यहाँ जाने के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं उसे आपको पालन करना पड़ेगा. जैसे की निचे बताया गया हैं.
- स्वर्ण मंदिर में जाने से पहले आपको अपना सर ढक कर जाना होगा. लड़के अपने रुमाल से तथा लड़किया अपने दुपट्टे से सर ढक सकते हैं.
- स्वर्ण मंदिर में आपको खाली पैर जाना होगा. आप चप्पल या जुते पहनकर नही जा सकते हैं.
- इस मंदिर में आप घुटने के ऊपर के किसी भी कपड़े में नही जा सकते हैं. इसलिए आपको पुरे बदन ढंके हुए कपडे ही पहनने होंगे.
- मांस, मदिरा, सिगरेट या ड्रग्स का सेवन करके गोल्डन टेंपल में नही जा सकते हैं या फिर ऐसी कोई चीज भी वहां नही ले जा सकते हैं.
- गोल्डन टेंपल के अंदर आप तस्वीरें नही ले सकते हैं. यदि आप तस्वीरें लेना चाहते हैं तो आपको विशेष अनुमति पहले से ही लेनी पड़ेगी.
- स्वर्ण मंदिर में शोर करना मना हैं. वहा आपको शांति बनाकर रहना पड़ेगा.
स्वर्ण मंदिर का लंगर
लंगर गुरद्वारे में दिए जाने वाले भोजन को कहा जाता हैं. लंगर की प्रथा सिखों के प्रथम गुरु, गुरु नानक जी द्वारा 25 वीं सदी में शुरू की गयी थी. लंगर की व्यवस्था उन्होंने जात-पात, उंच-नीच को हटाने के लिए चलाई थी. भगवान के मंदिर में कोई भी छोटा या बड़ा नही होता हैं इसी बात को समझाने के लिए उन्होंने लंगर के सभी लोगो को एक साथ बैठा कर भोजन परोसने की प्रथा चलाई. लंगर आपको हरमिंदर साहिब में भी मिलेगा यहां आपको जब मन करे तब जा कर भोजन कर सकते हैं.
यहाँ का भोजन घर इतना बड़ा हैं की एक बार में यहाँ 5 हजार से जादा लोग एक साथ बैठ कर भोजन कर सकते हैं. यहाँ हमेशा 30-40 हजार लोग भोजन करते हैं. छुट्टी और वीकेंड्स में तो यहाँ हर दिन 4 लाख लोग लंगर खाते हैं. लंगर की व्यवस्था शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक समिति द्वारा की जाती हैं. इस गुरूद्वारे में किसी भी व्यक्ति के तीन दिन तक रहने की पूरी व्यवस्था है. यहां कई कमरे और हॉल बने हैं, जहां सोने के लिए तकिया, कंबल और चादर की सुविधा दी जाती है. अगर आप भी स्वर्ण मंदिर घूमने जाएं, तो आराम से यहां तीन दिन तक ठहर सकते हैं.
गोल्डन टेंपल जाने का सही समय
वैसे तो आप स्वर्ण मंदिर में आप कभी भी जा सकते हैं. लेकिन आप यहाँ बिना भीड़ में जाना चाहते हैं तो किसी त्यौहार के समय स्वर्ण मंदिर न आये. किसी और दिन आके आप स्वर्ण मंदिर में घूम सकते हैं. क्युकी त्यौहार के टाइम गोल्डन टेंपल में बहुत ही भीड़ होता हैं जिससे आपको मंदिर में थोड़ी देर भी रुकने नही दिया जायेगा.
कैसे पहुंचे स्वर्ण मंदिर
अगर आप दिल्ली से अमृतसर ट्रेन या बाय रोड जा रहे हैं, तो लगभग 9 घंटे का समय लगेगा जबकि फ्लाइट से जाने में मात्र 1 घंटे का समय खर्च होगा. गोल्डन टैंपल के लिए जा रहे हैं तो यहां राजासांसी एयरपोर्ट है. अमृतसर से यहां आने में 15 मिनट का समय लगता है.
अगर आप दिल्ली से बाय रोड जा रहे हैं तो ग्रैंड ट्रंक रोड द्वारा अमृतसर पहुंच सकते हैं. इसके साथ ही आप हाईवे से जा रहे हैं तो करनाल, अंबाला, खन्ना, जलंधर और लुधियाना से होते हुए भी अमृतसर पहुंच सकते हैं. बता दें कि यहां से पाकिस्तान की दूरी केवल 25 किमी है.
अमृतसर स्वर्ण मंदिर की फोटो


आपको इसे भी पढना चाहिए
- Punjab Birth Certificate Online Apply
- NAREGA Job Card List Punjab
- E Sewa Punjab
- Punjab Free Smartphone Scheme
- Punjab Police Character Certificate Download
स्वर्ण मंदिर से सम्बंधित सवाल और उसके जवाब (FAQ)
Q. स्वर्ण मंदिर के लिए काला दिन कौन सा माना जाता हैं?
Ans. 3 से 6 जून 1984 को स्वर्ण मंदिर के इतिहास में एक काला पन्ना है इस दिन खालिस्तानी समर्थक आतंकी जनरैल सिंह भिंडरावाला अकाल तख्त में घुस गया और वहां से उन्हें निकालने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया जिसमे अकाल तख्त को काफी नुकसान पहुंचा और उस समय की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सिख विरोधी मान लिया गया.
Q. हरिमंदिर साहिब गुरुद्वारे का नाम स्वर्ण मंदिर क्यों पड़ा?
Ans. अफगान आक्रांताओ ने स्वर्ण मंदिर को कई बार बर्बाद किया लेकिन जब महाराजा रणजीत सिंह ने सिख राज्य की स्थापना की तो उन्होंने इसका संगमरमर और तांबे से निर्माण करवाया लेकिन साल 1830 में इसके गर्भगृह को सोने की पत्तियों से मंढा गया तब इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा था.
Q. स्वर्ण मंदिर के बारे में क्या खास है?
Ans. स्वर्ण मंदिर अपने पूर्ण स्वर्ण गुंबद के लिए प्रसिद्ध है, यह सिखों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है.
Q. स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा हैं?
Ans. स्वर्ण मंदिर लगभग 500 किलो सोना लगा हैं.
निचे कमेंट बॉक्स में अपना सवाल-सुझाव जरुर लिखें
आशा करते हैं की आपको मेरा यह आर्टिकल Amritsar Golden Temple Information In Hindi बहुत ही पसंद आया होगा और आपके मन में जो भी सवाल होंगे स्वर्ण मंदिर की सम्पूर्ण जानकारी से सम्बंधित वो क्लियर हो गये होंगे.
यदि इसके बाद भी आपके मन Golden Temple History से समन्धित कोई सवाल हो तो निचे कमेंट में जरुर लिखें. हम आपके सवालों का जवाब जल्द से जल्द देने की कोशिश करेंगे. धन्यवाद !